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' నువ్వొక పచ్చని చెట్టయితే పిట్టలు వాటంతట అవే వచ్చి వాలేను'..!.

7, ఏప్రిల్ 2014, సోమవారం

Srinivasu Gaddapati కవిత

*सिल्सिला* / श्रीनिवासु गद्दापाटि/ ---------------------------------------------- कबतक चलेगी ये सिल्सिला....? कभी धर्म के नाम कभी जात कभी पांत कभी ये कभी वो हरबार हर वक्त हमको ही ऐसा क्यों...? कोई कहता अछूत कोई हरिजन कोई दळित हां..... मै अछूत हरिजन दळित क्या मै मनुष्य नही... आदि काल से आधुनिक काल तक हमको ही ऐसा होता है मगर क्यों.....? धर्म के नाम कर्म के नाम अपना झूठे शास्त्रों के नाम कभी सिर कटवाना कभी अंगूठे तुडवाना कभी पाताल मे दब जाना क्यों...? ऐसा क्यों...? कानों में शीशी डलवाना जीब कटवाना ये अनाचार और अत्याचार हम पर ही क्यों...? अंधे कुए में घोर अंधकार में कब तक कहां तक...? 07.04.2014

by Srinivasu Gaddapati



from kavi sangamam*కవి సంగమం*(Poetry ) http://ift.tt/1e9dzHS

Posted by Katta

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